पांच मासूमों को बेसहारा छोड़ कर माता पिता लापता हो गए हैं। इनके भरण पोषण का भार 12 साल की बड़ी बहन कुसुम माझी पर है। दिन भर दूसरों के घर काम करने के बाद जो कुछ मिलता है उसी से उनका भरण पोषण होता है। इनके पास न तो राशन कार्ड है और ना ही आधार कार्ड। ऐसे में ये मासूम किसी तरह की सरकारी सुविधा से भी वंचित हैं।
दरअसल, गोविद माझी, पत्नी पिकी माझी अपने 12 वर्षीय बेटी सुषमा, पुत्र दस वर्षीय समीर, 6 वर्षीय बेटी वर्षा, चार वर्षीय पुत्र कुनाल एवं एक वर्ष के पुत्र कुंभ के साथ कुंडूपाड़ा मे भाड़े के घर में रह रहे थे। दो साल पहले गोविद घर छोड़ कर कहीं चला गया। इसके बाद पिकी बच्चों को लेकर भगत टोला भट्टीपाड़ा आ गई। यहां कुछ दिन तक रहने के बाद वह भी अपने मासूम बच्चों को छोड़कर कहीं चली गई और फिर नहीं लौटी।
तब से इन मासूमों में बड़ी कुसुम दूसरों के घर में झाड़ू-पोछा का काम कर अपने भाई बहनों का न सिर्फ पेट भर रही है बल्कि उन्हें स्कूल भेजकर पढ़ा-लिखा भी रही है। उसका झोपड़ीनुमा घर शहर से दूर होने के कारण वह रोजाना काम करने के लिए पैदल आती जाती है। सरपंच एवं आंगनबाड़ी कर्मी को इसकी जानकारी होने के बाद भी उनकी ओर किसी का ध्यान नहीं गया है।